मिट्टी के से थे वो ख्वाब, तू जिनमें धागे बुन रही थी,
वो जो नही है अब आज, कल तो जो यहीं थी,
ग़म में है दुनिया सारी, बस मेरा गम जो कम है,
कुछ मिल घुमिल कर तेरी यादें, मेरे ज़ख्मों पर मरहम है,
टूट बिखर कर मैने चलकर, जिंदगी को है थाम लिया,
जब मुश्किल आती है कभी भी,एक तेरा ही तो नाम लिया,
हर रास्ते, घर, – हर गालियां, वीरान सा सब तुझको खोकर,
तेरे ‘ पंछी ‘ सब लाचार से है, नम आंखें, सुजी अब रोकर,
ये मुश्किल है, यहां जीना, दुःख है तू है साथ नहीं,
मैं हूं क्यों खोया, क्यों रोया, ना बीत भी ये रात रही,
विचार है, तू प्यार है, तू ही मेरा हर यार है,
तू आजा, मां मेरी, तू मेरा सब संसार है,
नाही शब्द है, नाही रक्त है, बस आस है दिल में रही,
होगी तुझे याद इसके बाद, तेरा है टुकड़ा या नहीं
मेरी आरजू, वापिस ला ही दूं , तू तो ऐसी नहीं थी,
क्यों रूठी, क्यों छूटी , कल तो जो यहीं थी।
© अंकुश आनंद
Monika sood says
Heart touching ❣️❣️❣️
Ankush Anand says
Thank you