ये क्या हुआ,
जाने क्यों ये हुआ,
जो भी हुआ,
बस यही अब दुआ,
तू मिलजा अब कहीं,
और थाम ले हाथ,
ना दूँ जाने तुझे,
रहना मेरे तू पास,
बाँहों में मेरी,
हो……..हो
बाँहों में मेरी (२)
….
आँखे ये मेरी,
और इनमे सवाल,
तेरे ही तो हैं,
इनमे ये सब खयाल,
फूल खिलता है कहीं,
होती तेरे सपनों की रात,
न ज़िंदा रहना मुझे,
अगर न होगी तू साथ,
बाहों में मेरी, (२)
हो ……. हो
बाँहों में मेरी
……
कुछ मैंने कहा,
कुछ तुम अब कहो,
यूँ चुप न रहो,
कुछ कहती तुम रहो,
तुम कहती क्यों नहीं,
नहीं करती मुझसे बात,
यूँ न छोडो मुझे तड़पता अपने पास,
……
तुम क्यों हो पड़ी यूँ,… बेजान
बाँहों में मेरी
बेजान। .. बाँहों में मेरी
बाहों। . में। .. मेरी। ..
बाँहों में मेरी, हो
बाँहों में मेरी
Read Another Poem:
https://writings.ankushanand.com/poems/kal-to-jo-yahin-thi/
Noopram says
Awesome
Ankush Anand says
thank you
Mayan Guleria says
Nice